समृद्धि हो

समृद्धि हो

ईश्वर की यही इच्छा हो सकती है,
कि मैं जिस उद्देश्य का,
प्रतिनिधित्व करता हूँ,
वो मेरे आजादी में रहने से ज्यादा,
मेरी पीड़ा में अधिक समृद्धि हो।

Bal Gangadhar Tilak